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राईका बाग आंदोलन और राईका बाग का इतिहास क्या है?

 

  राईका बाग आंदोलन और  राईका बाग का इतिहास क्या  है?

                                

                     राईका बाग का इतिहास क्या  है?

                               





  जैसलमेर त्याग कर आये आसुराम जी पीसवाला राईका को कर्तव्यपरायणता और ईमानदारी के कारण मंडोर के पड़िहार शासक सुरसिंह जी ने यह क्षेत्र उनकी ढाणी बसाने के लिए विक्रम संवत ७३५ में दे दिया। कालांतर में पड़िहार शासक और उनकी रानी घूमते घूमते इस क्षेत्र में आए। रानी को यह जगह बहुत मनोहर लगी तो पड़िहार शासक से कहा कि इस जगह पर मैं एक बाग लगाना चाहती हूं। यह सुन पड़िहार शासक धर्म संकट में फंस गए किंतु उन्हें विचार आया और उन्होंने रानी को कहा कि आप आशु राम जी को अपना धर्म भाई बना लीजिए उसके बाद उपहार के रूप में आप यह क्षेत्र मांग लीजिएगा। मंडोर के पड़िहार शासक सुरसिंह जी के बताएं अनुसार रानी ने आसुराम जी राईका को अपना भाई बनाकर यह क्षेत्र उपहार में मांगा और त्याग के प्रतीक आसुराम जी ने भी धर्म बहन रानी को यह क्षेत्र विक्रम संवत ७५५ में दे दिया। रानी ने आसुराम जी राईका के इस त्याग के बदले में यहां लगने वाले बाग का नाम राईका बाग नाम रख दिया।


                               




कालांतर में जब मारवाड़ पर राठौड शासको का अधिकार हुआ  औरंगजेब के काल में मारवाड़ के शासक महाराजा जसवंत सिंह की रानी ने यहां पर पुनः यहां बाग लगवाया तथा पैलेस बनवाए और उनका नाम "राईका बाग" और "राईका बाग पैलेस" रखा गया क्योंकि इस स्थान पर राईका जाति के लोग अपने ऊंट के साथ निवास करते थे।


कालांतर में जोधपुर राठौड शासक के समय 1882 मैं जोधपुर राज परिवार हेतु रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया और इसका नाम पूर्व में प्रचलित इस क्षेत्र के नाम "राईका बाग" के नाम पर राईका बाग पैलेस जंक्शन रखा गया। जो कि यहां पूर्व में निवास करने वाली राईका जाति से संबंधित है।

                            



राईका बाग के राईका बाग होने के सबूत क्या है? 


1. राईका समाज के राव की बही

2. आजादी से पूर्व की रेलवे रिपोर्ट्स


3. जोधपुर राज्य की पुरालेखीय बहिया


4. भारत सरकार का गजेटियर


5. राईका बाग रेलवे स्टेशन पर  पूर्व में लिखित नाम के फोटो


 वर्तमान में रेलवे द्वारा की गई गलती क्या है?

 
वर्तमान में रेलवे ने रेलवे स्टेशन के नाम लेखन में गलती कर दि है। रेलवे डिपार्टमेंट ने  राईका बाग पैलेस जंक्शन के नाम को जान बूझकर "राई का बाग" कर दिया जिसका तात्पर्य "राई" के "बाग" से है। जो ऐतिहासिक दृष्टि से गलत है। पूर्व में  इसका सही नाम "राईका बाग"  लिखा हुआ था जिसे रेलवे ने मिटाकर गलत नाम अंकित कर दिया।

                             




 नाम परिवर्तन से समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा

 यदि इस रेलवे स्टेशन का नाम समय रहते सही नहीं करवाया गया तो हमारे समाज का प्राचीन इतिहास विलुप्त हो जाएगा। आने वाले समय में अन्य समाज इसे "राई" का "बाग" ही समझेंगे और हमारे इतिहास में योगदान को दबा दिया जाएगा। इससे असामाजिक तत्वों द्वारा हमारे समाज के इतिहास को मिटाने का  कार्य निरंतर चलता रहेगा। यदि अब जाग गए तो आगे कोई भी हमारे समाज के इतिहास को मिटाने का प्रयास नहीं करेगा।



  क्या रेलवे के द्वारा किए गए इस अनैतिक संशोधन के विरोध मे समाज द्वारा कोई प्रयास किए गए?


 जी हां, इस रेलवे स्टेशन के नाम को पुनः सही करवाने के लिए कई लोगों ने प्रयास किए।


1. राईका बाग रेलवे स्टेशन अधीक्षक को लिखित में यह जानकारी दी गई

2. पुनः रेलवे स्टेशन अधीक्षक को याद दिलाया गया

3. डीआरएम जोधपुर को व्यक्तिगत लिख कर दिया गया
4. एक बार फिर डीआरएम जोधपुर को समाज के लोगों ने लिखित में ज्ञापन दिया।
5. जयपुर में भी जनरल मैनेजर उत्तर पश्चिम रेलवे को भी लिखित में ज्ञापन दिया गया और इस समस्या से अवगत कराएगा


  आंदोलन की आखिरी रास्ता क्यों?


                           



 अब तक बहुत से लिखित में ज्ञापन समाज के विभिन्न व्यक्तियों द्वारा विभिन्न संस्थाओं द्वारा दिया जा चुका है किंतु इस विषय पर अभी तक कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। 

ऐसे में एकमात्र अंतिम रास्ता आंदोलन एवं धरना प्रदर्शन है।


  आंदोलन का स्थान और तिथि क्या है
 आंदोलन का स्थान जोधपुर रहेगा तथा इसकी तिथि 1 जुलाई 2024 रहेगी

 आंदोलन का स्वरूप क्या होगा

  वैधानिक तरीके से शांतिपूर्ण आंदोलन किया जाएगा। जिसमें धरना प्रदर्शन के साथी रैली भी निकल जाएगी। 

यह आंदोलन अखिल भारतीय रहेगा।

  आंदोलन में कौन भागीदार हो सकता है
आंदोलन में महिला व पुरुष दोनों ही भाग ले सकते हैं!



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